Shodashi Secrets

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The working day is observed with great reverence, as followers visit temples, offer prayers, and take part in communal worship events like darshans and jagratas.

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

Soon after eleven rosaries on the 1st working day of beginning Using the Mantra, it is possible to carry down the chanting to 1 rosary daily and chant 11 rosaries over the eleventh working day, on the last day of your respective chanting.

ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं

She could be the in the form of Tri electrical power of evolution, grooming and destruction. Total universe is altering beneath her electric power and destroys in cataclysm and again get rebirth (Shodashi Mahavidya). By accomplishment of her I received this area and hence adoration of her is the best just one.

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।

She's depicted like a sixteen-12 website months-old girl which has a dusky, red, or gold complexion and a third eye on her forehead. She is without doubt one of the 10 Mahavidyas and it is revered for her beauty and ability.

The noose represents attachment, the goad represents repulsion, the sugarcane bow represents the intellect and also the arrows are classified as the five perception objects.

संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi

The intricate connection amongst these teams as well as their respective roles during the cosmic purchase is often a testomony for the abundant tapestry of Hindu mythology.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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